शनिवार, 15 जून 2013

वास्तविक प्रेम

वास्तविक प्रेमी और प्रेम

वास्तविक प्रेमी वह होते हैं जो अंत तक प्रेम करते हैं। अंतिम दिन भी वे उतनी ही गहराई से प्रेम करते हैं जितना उन्होंने प्रथम दिन किया होता है; उनका प्रेम कोई उत्तेजना नहीं होता। उत्तेजना तो वासना होती है। तुम सदैव ज्वरग्रस्त नहीं रह सकते। तुम्हें स्थिर और सामान्य होना होता है। वास्तविक प्रेम किसी बुखार की तरह नहीं होता यह तो श्वास जैसा है जो निरंतर चलता रहता है।

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