मंगलवार, 1 जुलाई 2014
पानी फेर दो इन पन्नों पर, ताकि धुल जाए सियाही सारी
पानी फेर दो इन पन्नों पर
,
ताकि धुल जाए सियाही सारी,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें