शनिवार, 30 अगस्त 2014

लोगों में हमारी खुद्दारी सुनिए तो कुछ जुदा सी है

लोगों में हमारी खुद्दारी सुनिए तो कुछ जुदा सी है,
हम जिगर पर ज़ख़्म तो ले लेते हैं, लेकिन मरहम नहीं लेते..!!


गुरुवार, 28 अगस्त 2014

बुधवार, 27 अगस्त 2014

रविवार, 24 अगस्त 2014

बेबसी भी कभी कुर्बत का सबब बन जाती है

बेबसी भी कभी कुर्बत का सबब बन जाती है,
रो न पायें तो गले किसी अपने के लग जाते हैं..!!





आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज़

आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज़ ..,
हर किसी से कह रहा है ..... 'आप सा कोई नहीं',.



शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

गर जीत हासिल करनी हो तो क़ाबलियत बढ़ाओ

गर जीत हासिल करनी हो तो क़ाबलियत बढ़ाओ,
वरना किस्मत की रोटी तो कुत्ते को भी नसीब होती है..!!


गुरुवार, 21 अगस्त 2014

रविवार, 17 अगस्त 2014

मंगलवार, 12 अगस्त 2014

कुछ लोग लड़कियों के बारे में बहुत कुछ कहते हैं

कुछ लोग लड़कियों के बारे में बहुत कुछ कहते हैं...

जैसे
लड़की के हाथ मेहंदी के बगैर भी अच्छे लग सकते हैं अगर वो खाना बनाने में माहिर हो.
आँखे बिना काजल के भी अच्छी लग सकती है अगर उनमे हया हो.
बाल बिना कटे भी अच्छे लग सकते हैं अगर इन पर दुपट्टा हो.
चेहरा बिना मेकप के भी अच्छा लग सकता है अगर उसमे सादगी हो.
क़द बिना ऊँची हील के भी लम्बा हो सकता है अगर तमन्ना मैं बुलंदी हो.

ये सब बाते सही हैं ...होना भी चाहिए .औरत की सादगी, उसकी हया ही उसका गहना होती है.

मगर
ये सब तभी अच्छा है अगर आदमी की आँखों में औरत के लिए इज्ज़त हो ...प्यार हो...वो जो दिल से हो दिखावे से नहीं...किसी की सुन्दरता उसके दिल से हो..सूरत से नहीं ..उसके पहनावे से नहीं.

नहीं रहता कोई शख्स अधूरा किसी चीज के बिना

नहीं रहता कोई शख्स अधूरा किसी चीज के बिना,
वक़्त गुज़र ही जाता है ..कुछ पा कर भी कुछ खो कर भी..!!



सोमवार, 11 अगस्त 2014

चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आये,

चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आये,
मोहब्बत कोई मज़बूरी नहीं है..!!




नाजुक सी परेशानी के लिये तौहिन ए मोहोब्बत कौन करे

नाजुक सी परेशानी के लिये..तौहिन ए मोहोब्बत कौन करे,
वादों से मुकर जानेवाले...जा तेरी शिकायत,,कौन करे,,!!


रात भर की उदासियों के बाद ये भी एक हुनर है मानों



रात भर की उदासियों के बाद ये भी एक हुनर है मानों,

कि हम हर सुबह एक बार फिर से ज़िन्दगी सवार लेते हैं..!!



शनिवार, 9 अगस्त 2014

शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

गुरुवार, 7 अगस्त 2014

जो बात "हम" में थी

जो बात "हम" में थी

वो बात ना "तुम" में हैं

ना "मुझ" में हैं !!



मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है



मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है,

यहाँ पर नफरतों ने कैसे गुल खिलाये हैं
लुटी अस्मत बता देगी दुपट्टा बोल सकता है,

हुकूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलवा बोल सकता है,

कई चेहरे अभी तक मुंहजबानी याद है इसको
कहीं तुम पूछ मत लेना गूंगा बोल सकता है,

बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पे रखी हैं
ये वो सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है,

सियासत की कसौटी पर परखिये मत वफ़ादारी
किसी दिन इंतकामन मेरा गुस्सा बोल सकता है..!!



अब क्या कहें, संभल के चलने में वो मज़ा नहीं आता,


अब क्या कहें, संभल के चलने में वो मज़ा नहीं आता,

लड़खड़ाओ, तब तो आसमान पे नज़र जाती है..!!


जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,



जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,

बबूल से भी बुरे निकले तेरे गुलमोहर के साये..!!