शनिवार, 22 जून 2013

तुम्हारी आँख में कभी उतर जाऊं

तुम्हारी आँख में गर मैं कभी चुपचाप जल जाऊं
लेकिन तुम अपनी आँख में मेरा सदमा मत लिखना..

मेरी आँखों में बाते हैं मगर चेहरे पे गहरी चुप्पी
मेरी आँखे तो लिख देना, मेरा चेहरा मत लिखना ..!!

वो एक बंद दरवाजा

वो एक बंद दरवाजा था जो अब खुल गया
ज़ाहिर करें क्या उस पल को जो पल गया,

उसे भी याद नहीं और मैं भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीं था मगर फिजूल गया,

बारिश तो खूब बरसी हमारे शहर में भी, मगर
अबके बरस बिन बरसात ही सब धुल गया...!!!

शनिवार, 15 जून 2013

When you pray for others

"When you pray for others god listens to you fast and makes them happy so when you are happy and blessed remember that some one has prayed for you.

बहस और छल

उनसे मत डरिये जो बहस करते हैं, बल्कि उनसे डरिये जो छल करते हैं...!!!!

जीवन

आप हमेशा यह ध्यान रखे जीवन की लम्बाई नहीं , गहराई मायने रखती है.....!!!!

हमें मालूम था

हमें भी मालूम था के लोग बदल जाते हैं अक्सर
मगर हमने कभी तुम्हें लोगों में गिना ही नहीं था ...!!!

रिश्ता

कोई भी रिश्ता अच्छे समय में केवल हाथ मिलाने भर से चमकता है
लेकिन बुरे समय में कसकर हाथ थामने से ही उसकी चमक बरकरार रहती है ..!!

who I am

I am not a perfect person... I make a lot of mistakes but still I love those people... who stay with me after knowing how I really am...!!

लहरें और प्रेरणा

लहरें प्रेरणा का स्रोत इसलिए नहीं होती, क्योकि वे उठती और गिरती हैं, बल्कि इसलिए प्रेरणा देती हैं, क्योंकि वे जब भी गिरती हैं, तो उत्साह से उठने में नहीं चुकती !!!

वास्तविक प्रेम

वास्तविक प्रेमी और प्रेम

वास्तविक प्रेमी वह होते हैं जो अंत तक प्रेम करते हैं। अंतिम दिन भी वे उतनी ही गहराई से प्रेम करते हैं जितना उन्होंने प्रथम दिन किया होता है; उनका प्रेम कोई उत्तेजना नहीं होता। उत्तेजना तो वासना होती है। तुम सदैव ज्वरग्रस्त नहीं रह सकते। तुम्हें स्थिर और सामान्य होना होता है। वास्तविक प्रेम किसी बुखार की तरह नहीं होता यह तो श्वास जैसा है जो निरंतर चलता रहता है।

बुरे हैं के भले हैं

यह फखर तो हासिल है, बुरे हैं के भले हैं
दो चार कदम हम भी तेरे साथ चले हैं,

जलना तो चिरागों का मुकद्दर है अज़ल से
यह दिल के कंवल हैं के बुझे हैं न जले हैं,

थे कितने सितारों के सिर-ए-शाम ही डूबे
हंगाम-ए-शहर कितने ही खुर्शीद ढले हैं,

जो झेल गये हंस के करी धुप के तेवर
तारों की ख़ुनक छाओं में वो लोग जले हैं,

एक शमा भुझाई तो कई और जला ली
हम गर्दिश-ए-दोरान से बड़ी चाल चले हैं ..!!

क्या यही प्यार है ???????

क्या यही प्यार है ..?????? कई बार कुछ लोगों को देखकर मेरे मन में ये विचार आ ही जाता है और मैं सोचने को मजबूर हो जाती हूँ कि क्या यही प्यार है? सोचती हूँ की दुनिया कितनी सिमट गयी है , लोगों को आजकल फेसबुक पे प्यार हो रहा है। एक तरफ दूरियां कम हो रही हैं, तो दूसरी तरफ बढती नजदीकियां भी मुश्किलें खड़ी कर रही हैं . अब लोग इन्टरनेट पे मिलते हैं, messages से बात होती है, दोस्ती होती है, फिर दोस्ती इतनी बढ़ जाती है की उसे प्यार का नाम मिल जाता है, फिर वही भावनाएं, साथ निभाने की कसमें, फिर कसमों का टूटना, और फिर ??
रिश्ता जब बिना किसी आधार के जुड़ता है तो वो उसी तरह ख़त्म भी हो जाता है। और अगर कोई सोच समझ कर बस आपके जज्बातों के साथ खेलना ही चाहता हो तो ये सब और भी आसान हो जाता है। पहले ‘hi’, ‘hello ‘ हुआ, फिर ‘हाल-चाल’ , फिर ‘पसंद-नापसंद’ , फिर ‘जानू खाना खाया या नहीं? देखो खा लेना ज़रूर से वर मैं भी भूखा/भूखी रहूँगा/गी’, और फिर ‘डार्लिंग समझो मेरे पास टाइम नहीं है बात करने को।’ मतलब पहले किसी से थोड़ी सी जान पहचान हुई, फिर उसकी पसंद -नापसंद को समझा, और फिर शुरू दिल जीतने योग्य की जाने वाली बड़ी बड़ी बातें। कभी कभी ये बातें इतनी लम्बी हो जाती हैं की पहले फेसबुक (लॉग इन थ्रू कंप्यूटर), फिर फेसबुक (लॉग इन थ्रू मोबाइल), फिर हमारे मोबाइल का SMS पैक कब काम आएगा, फिर आवाज़ सुनने की तमन्ना हुई तो कॉल करके ही बात कर लेते हैं!!! तो भैया ‘unlimited talking ’ ज़ारी है और इस वक़्त उस लड़के से ज्यादा आदर्शवादी, सिद्धांतवादी, सुयोग्य व्यक्ति दुनिया में कोई और नहीं और उस लड़की से ज्यादा सुन्दर, समझदार, सुशील कन्या कोई और नहीं ……….. (भले ही बड़े की पहले किसी और के बारे में यही धारणा रही हो ! क्या फर्क पड़ता है ………व्हेन लव इस इन एयर ). कुछ दिन, महीनों, (निर्भर करता है कौन कितने वक़्त तक साथ दे पाए) सब बहुत अच्छा चल रहा है, जैसे ज़िन्दगी में कोई नयी उमंग , कोई नया मकसद मिल गया हो और फिर धीरे धीरे इन्ही नजदीकियों में दूरियां घर बनाने लगती हैं क्योंकि संभवतः दोनों में से कोई एक इंसान इस रिश्ते में उतना गंभीर नहीं था जितना की किसी एक ने समझ लिया।

फिर सिलसिला शुरू हो जाता है किसी के काम में व्यस्त रहने का और किसी का इंतज़ार में पड़े रहने का !! कोई एक है जो बात करना नहीं चाहता और दूसरा बात किये बिना रहना नहीं चाहता। कोई एक है जो ये सच स्वीकार करना नहीं चाहता की उसने कभी प्यार किया ही नहीं था और कोई एक है जो ये सच समझना ही नहीं चाहता ………………….सपने टूटते हैं, भावनाएं आहत होती है, सच है कि दुःख तो बहुत होता है। कई बार तो नौबत जान देने की आ जाती है, लोग निराशा के अँधेरे में चले जाते हैं (depression), डॉक्टर की मदद लेनी पड़ जाती है, किसी का ज़िन्दगी से विश्वास उठ जाता है, किसी का प्यार से, और कोई सकरात्मक सोच लिए इंसान की सही पहचान उसकी कही हुई बड़ी बड़ी बातों से नहीं बल्कि उसके स्वभाव की छोटी छोटी आदतों से होती है” , इसलिए अगर आप सिर्फ फेसबुक message या फ़ोन पे कही किसी की बड़ी बड़ी बातों पे विश्वास करके उसे बहुत ऊंचा दर्ज़ा देने जा रहे हैं अपने जीवन में तो एक बार फिर से सोच लीजिये। क्या ज़रूरी हैं कि सच भी ऐसा ही होगा? जब आप किसी से मिले नहीं, किसी को जानते नहीं, तो सिर्फ उसकी बातों पे भरोसा करके अपनी भावनाएं उस इंसान के साथ जोड़ लेना क्या उचित होगा? और फिर क्या होगा जब उसकी बातें उसकी चरित्र के विपरीत निकली? मुझे ये लगता है की अच्छा बोलना बहुत आसान होता है, परन्तु जो आप बोल रहे हैं उसे अपने स्वभाव में लाना और वैसा ही जीवन जीना बहुत मुश्किल होता है। और ये अपेक्षा आप किसी ऐसे इंसान से कैसे कर सकते हैं जिसका अधिकाँश समय बस आपको message करने में और आपसे बात करने में जा रहा है? और आपको इस बात पे कितना भरोसा है की वो आपके सिवा किसी और से भी बात करने में इतना ही वक़्त नहीं दे रहा होगा?
दूसरी बात, जब आप किसी से बात करने में इतना वक़्त दे ही रहे हैं तो क्या कभी आपने रुक कर ये सोचा की ये कितना उपयुक्त है? क्या आपको नहीं लगता की जो वक़्त आपने किसी की फ़ालतू बकवास या किसी से यु ही ज़िन्दगी की बातें discuss करने में, या जताने वाली सामान्य बातों (जैसे तुमने खाना खाया या नहीं ? खाया तो क्या खाया ? और नहीं खाया तो क्यों नहीं खाया? ), मतलब आपने अपना जो कीमती वक़्त इन बातों को करने में दिया, क्या उसका इससे बेहतर और कोई उपयोग नहीं हो सकता था ? यही सब बातें बेमानी लगने लगती हैं जब मालूम चलता है की आप जिसे अपनी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी समझ बैठे थे असल में तो वो इंसान सिर्फ आपके जज्बातों का फायदा उठा रहा था? तो फिर इतना ज्यादा वक़्त आप किसी और पे बर्बाद करने की जगह खुद पे ही दें तो क्या ज्यादा बेहतर नहीं होगा?

पहले इन्टरनेट चाहिए होता है स्कूल/ कॉलेज के प्रोजेक्ट के लिए, प्रेजेंटेशन के लिए, और फिर इस्तेमाल होने लगता है सोशल नेटवर्किंग साइट्स के लिए, चैटिंग के लिए ! मैं ये नहीं कह रही की ये पूर्णतया गलत है न ही मैं इन्टरनेट या सोशल नेटवर्किंग साइट्स के खिलाफ हूँ। पढाई के साथ अन्य चीज़ों के लिए इन्टरनेट का इस्तेमाल गलत नहीं है और न ही किसी से सोशल नेटवर्किंग साइट्स पे दोस्ती करना गलत है, और न ही किसी से चैटिंग करना गलत है, परन्तु “अधिकता हर चीज़ की बुरी होती है।” किसी को बिना जाने समझे उस पर अँधा विश्वास कर लेना गलत है। वो भी तब जब इससे आपकी भावनाएं जुडी हों।

बहुत आसान होता है किसी की पसंद-नापसंद को समझना और फिर उसी के अनुरूप बात करना अगर सामने वाली के इरादे नेक न हो ………और लोग इसे प्यार समझ लेते हैं। “ओह माय गॉड ! उसकी पसंद मेरी पसंद से कितनी मिलती है। वी आर मेड फॉर ईच अदर .” अरे भैया कुछ पसंद सबकी कॉमन होती हैं, तो क्या हुआ अगर मुझे एकांत में रहना पसंद है और आपको भी ! और फिर सामने वाले ने तो बहुत अच्छे से आपकी हर पसंद का निरीक्षण किया है। धीरे धीरे यही सब बातें इतना गंभीर रूप ले लेतीं हैं कि उनसे बहार निकलना मुश्किल हो जाता है।

सब कुछ बहुत अच्छा लगता है, जब तक यथार्थ के धरातल पे न रखा जाये। कितने ही लोग ऐसे होते हैं कि कॉलेज के समय या कभी भी किसी से प्यार करते हैं, उस वक़्त उनका प्यार उसी एक इंसान के लिए सच्चा होता है, उसके लिए करवा चौथ भी रह लेंगे, और फिर पता चलता है कि शादी तो किसी और से की ! अब मुझे कोई ये बताये की पहले वाला प्यार सच्चा था या शादी के बाद वाला ? पहले किसी के लिए करवा चौथ किया अब किसी और के लिए? इतना आसान भी नहीं होता जीवन में किसी एक की जगह किसी दुसरे को दे देना और वो भी तब जब की वो एक आपके लिए बहुत महत्त्वपूर्ण रहा हो !!

कुछ लोग तो और भी ज्यादा होशियार होते हैं, वो दोस्ती ही करते हैं अपना कोई स्वार्थ सिद्ध करने के लिए और काम पूरा होने के बाद टाटा बाय बाय ! जैसे की कॉलेज में कोई पढने में बहुत अच्छा हुआ तो प्यार कर लो, एग्जाम में अच्छे नंबर मिलना थोडा आसान, और फिर कॉलेज ख़तम तो प्यार भी ख़तम ………..ऐसे ही और भी कई उदाहरण देखने को मिल जायेंगे। कुछ ऐसे भी होते हैं जिनका प्यार बहुत मज़बूत होता है, वो शादी भी करते हैं, फिर शादी के 2-3 साल बाद पता लगता है कि किसी और से इससे भी ज्यादा सच्चा प्यार हो गया, तो भैया तलाक भी कर लेते हैं !!! जितने लोग उतनी कहानी और सबकी कहानी वही ………..

मैं ये नहीं कह रही कि सबको प्यार में धोखा मिलता है या सबका प्यार झूठा होता है। बस कभी इंसान गलत मिल जाता है, कभी मंजिलें अलग हो जाती हैं, और कभी परिस्थितियाँ ही विपरीत हो जाती हैं। प्यार तो एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है जो की सभी को महसूस होना ही चाहिए। प्यार इतना छोटा शब्द नहीं जो किसी एक इंसान या किसी एक रिश्ते पे ही सिमट जाये। प्रेम तो बहुत पावन होता है, पवित्र होता है।
“प्यार तो अँधा होता है और जो सोच समझ कर किया जाए वो प्यार नहीं होता।” प्यार तो वो अहसास है जिसमे आप किसी को अपनी हर चीज़ देकर भी अफ़सोस नहीं करते, क्योंकि प्यार लेना तो जानता ही नहीं है वो सिर्फ देना जानता है। प्यार वो भावना है जो लोगो को एक दुसरे की परवाह करना सिखाता है, एक दुसरे को सम्मान देना सिखाता है, और सबसे बड़ी बात की प्यार में इंसान के लिए अपनी ख़ुशी से ज्यादा अहमियत दुसरे की ख़ुशी की हो जाती हैं।

इसके बाद बस यही कहना चाहूंगी “और भी काम है जमाने में मोहब्बत के सिवा”...

To Be Yourself.

मेरा मानना है कि आप कब तक दूसरों के मंच पर भाग कर अपनी प्रतिभा को दिखाते रहेंगे ... आप खुद अपना मंच तैयार करिए और उसपर चलिए ...दूसरों के सपनो में अपने सपनो को कब तक ढूंढते रहेंगे...आप खुद अपने सपने देखिये और उसे पूरा करने का हौसला रखिये .... फिर देखिये यहाँ सब आपका होगा और आप सबके.... दुनिया में जहाँ हर कोई आपको कुछ और बनाना चाहता है वहां सबसे बड़ी चुनौती है ... To Be Yourself.

सफर में मुश्किलें आऐ, तो हिम्मत और बढ़ती है,
कोई अगर रास्ता रोके, तो जुर्रत और बढ़ती है,
अगर बिकने पे आ जाओ, तो घट जाते है दाम अक्सर
ना बिकने का इरादा हो तो, कीमत और बढ़ती है।

चाँद की रोशनी

हर बल्ब यही समझता है कि वो और चाँद एक ही हैं.... क्योंकि दोनों ही रोशनी देने का काम करते हैं लेकिन वो ये भूल जाता है कि बल्ब का काम ख़तम हो जाए तो उसे बंद कर दिया जाता है ...और चाँद की  रोशनी का काम कभी ख़तम नहीं होता है ..!!!

मैं ये नहीं कहती

मैं ये नहीं कहती कि मैं हर किसी को अच्छे से जान या समझ सकती हूँ ... लेकिन फिर भी मैं अपनी ज़िन्दगी में लोगों को अहमियत इसलिए देती हूँ ....क्योंकि जो अच्छे और सच्चे होंगे वो साथ देंगे ... और जो बुरे होंगे वो सबक देंगे..!!!

आंधियों में भी जैसे कुछ चिराग जला करते हैं
उतनी ही हिम्मत ए हौसला हम भी रखा करते हैं,

हीरे की शफ़क

हीरे की शफ़क है तो अँधेरे में चमक
धूप में आके तो शीशे भी चमक जाते हैं...!!!

स्त्री

स्त्रियों की सहनशक्ति पुरुषों से कई गुनी ज्यादा है। पुरुष की सहनशक्ति न के बराबर है। लेकिन पुरुष एक ही शक्ति का हिसाब लगाता रहता है, वह है मसल्स की। क्योंकि वह बड़ा पत्थर उठा लेता है, इसलिए वह सोचता रहा है कि मैं शक्तिशाली हूं। लेकिन बड़ा पत्थर अकेला आयाम अगर शक्ति का होता तो ठी‍क है, सहनशीलता भी बड़ी शक्ति है- जीवन के दुखों को झेल जाना।

स्त्री अपने को नीचे रखती है। लोग गलत सोचते हैं कि पुरुषों ने स्त्रियों को दासी बना लिया। नहीं, स्त्री दासी बनने की कला है। मगर तुम्हें पता नहीं, उसकी कला बड़ी महत्वपूर्ण है। कोई पुरुष किसी स्त्री को दासी नहीं बनाता। दुनिया के किसी भी कोने में जब भी कोई स्त्री किसी पुरुष के प्रेम में पड़ती है,तत्क्षण अपने को दासी बना लेती है, ‍क्योंकि दासी होना ही गहरी मालकियत है। वह जीवन का राज समझती है।

स्त्री अपने को चरणों में रखती है और तुमने देखा है कि जब भी कोई स्त्री अपने को तुम्हारे चरणों में रख देती है, तब अचानक तुम्हारे सिर पर ताज की तरह बैठ जाती है। रखती चरणों में है, पहुंच जाती है बहुत गहरे, बहुत ऊपर। तुम चौबीस घंटे उसी का चिंतन करने लगते हो। छोड़ देती है अपने को तुम्हारे चरणों में, तुम्हारी छाया बन जाती है। और तुम्हें पता भी नहीं चलता कि छाया तुम्हें चलाने लगती है, छाया के इशारे से तुम चलने लगते हो।

रगों में दौड़ते फिरने के

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहूँ क्या हैं..!!


एक पेड़ से

एक पेड़ से करोड़ो माचिस की तीलियाँ बन सकती हैं....लेकिन वही एक माचिस की तीलि करोड़ो पेड़ को जलाकर राख कर सकती है,.. इसलिए कभी भी किसी की बात को छोटी समझ कर under estimate या अनदेखा न करें ..!!

समस्याएं सभी को आती हैं

"बारिश होने पर सभी पक्षी किसी न किसी शरण की तलाश में रहते हैं .....लेकिन बाज़ बादलों से इतना ऊँचा उड़ता है कि, उसे बारिश से परेशानी ही नहीं होती......कहना का तात्पर्य यह है कि समस्याएं सभी को आती हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि.... कौन उन्हें बहादुरी और समझदारी से deal करता है ....!!

मोहब्बत बंदगी है

मोहब्बत बंदगी है उस से तन का कर्ब न मांग
के जिसे छू लिया उसे पूजा नहीं करते ...,,,,


जो करना है कर डाल

गुज़र न जाये कहीं उम्र एह्तेयातों में ,
सोचता क्या है बन्दे ....जो करना है कर डाल..!!

मेरे वजूद से

मेरे वजूद से यूँ बेखबर हैं वो जैसे
वो एक धूपघड़ी हैं... और मैं रात का पल हूँ ..!!


मेरे नाम से

लोग रुक-रुक कर संभलते क्यों हैं,
दर लगता है इतना तो,
घर से निकलते क्यों है..
मैं न दिया हूँ न तारा,
फिर रौशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं ..??

क्या करे इंसान भी

क्या करे इंसान भी जब घायल रूह तक बेज़ार है
अब दुआ भी किससे करे जब देवता ही बीमार है,

जो रोते हुए बेहाल लोगों को हँसा दे
वही आज का सबसे बड़ा फनकार है,

हो कोई इंसान या सौ टका ईमान हो
बेचने की ठान लो तो हर तरफ बाज़ार है..!!

स्नेह की अँगुली



"कोई भी पतन, गड्ढा इतना गहरा नहीं होता कि जिसमें गिरे को स्नेह की अँगुली से उठाया न जा सके.."