शनिवार, 26 सितंबर 2015

भटकती है दुनिया दिन रात सोने की दुकानों में

भटकती है दुनिया दिन रात सोने की दुकानों में, 

गरीबी कान छिदवाती है तो तिनका डाल लेती है !




गुरुवार, 24 सितंबर 2015

रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नहीं होती

रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नहीं होती, 
मैंने फुटपाथों पर भी..जलते चूल्हे देखे हैं ..!!


मंगलवार, 22 सितंबर 2015

मशवरे भी बहुत हो जाये तो काम के नहीं रहते

मशवरे भी बहुत हो जाये तो काम के नहीं रहते, 

जिसने ज्यादा पूछा... वो गुमराह भी हुआ है..!!




रविवार, 20 सितंबर 2015

बच्चे गरीब के फरमाइश इसलिए भी नहीं करते

बच्चे गरीब के फरमाइश इसलिए भी नहीं करते.... वे जानते हैं कि सूखा तालाब पत्थर फेंकने से हलचल नहीं करता.



कहाँ है इस बचपन की वो नादान सी हंसी

कहाँ है इस बचपन की वो नादान सी हंसी.. ? जो यह कहती है ....
बिन हथियारों के जंग में उतार दिया गया हूँ.,
आसान लफ्ज़ो में कहूँ तो मार दिया गया हूँ..!!


शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

गोकुल की भोर बरसाने की दोपेहरी

गोकुल की भोर बरसाने की दोपेहरी
बृन्दावन की शाम देख लेती थी,

कौन सा काजल मीरा नैनों में लगाती थी कि
नैन मूंद के भी घनश्याम देख लेती थी.!!






मंगलवार, 1 सितंबर 2015

जमाना बदलता रहा मै ना बदल सका फिर भी

जमाना बदलता रहा मै ना बदल सका फिर भी.,
नादान, नादान ही रहा उल्टा भी लिखा और सीधा भी