रविवार, 20 सितंबर 2015

कहाँ है इस बचपन की वो नादान सी हंसी

कहाँ है इस बचपन की वो नादान सी हंसी.. ? जो यह कहती है ....
बिन हथियारों के जंग में उतार दिया गया हूँ.,
आसान लफ्ज़ो में कहूँ तो मार दिया गया हूँ..!!


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