रविवार, 13 अप्रैल 2014

बस वक़्त के तमाचे की देर है प्यारे

बस वक़्त के तमाचे की देर है प्यारे
फिर मेरी फ़क़ीरी क्या, तेरी बादशाही क्या..!!!


आराम वो क्या देगी जो तड़पा न सके

आराम वो क्या देगी जो तड़पा न सके
ये आँखें हैं ठहरी हुई चंचल वो निगाहें हैं ...!!!



दुनिया को समझाया हमने लेकिन खुद अनजान रहे

दुनिया को समझाया हमने लेकिन खुद अनजान रहे
अपने तन पर अपना कुरता अक्सर ढीला हो जाता है,

आईने को घर में रख दो, साथ में ले कर मत घूमो
सच की धूप में रहते-रहते चेहरा नीला हो जाता है,

बच्चों के सच्चे ज़हनों में झूठी बातें मत डालो
काँटों की सोहबत में रह कर फूल भी नुकीला हो जाता है,

दिन भर तो हम मिलकर शक्कर में पानी घोलें
रात आते-आते सारा शरबत क्यों ज़हरीला हो जाता है.....!!


ज़िन्दगी का हर मोहरा बे-रुखी के रुख पर है

ज़िन्दगी का हर मोहरा बे-रुखी के रुख पर है
ये बिसात उलटेगी इक चाल चलने से.....

डूबता हुआ सूरज क्या मुझे उजाला देगा
मैं चमक उठूं शायद चाँद के निकलने से...!!!


शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

अपने किरदार को इस मौसम से बचाए रखना

अपने किरदार को इस मौसम से बचाए रखना
लौट कर फूलों में खुशबू कभी वापस नहीं आती...!!!