शनिवार, 16 सितंबर 2017

ज़िन्दगी, लाख मुश्किलों में टूट कर भी जुड़ना जैसे है,

ज़िन्दगी, लाख मुश्किलों में टूट कर जुड़ना जैसे है,

परिंदों को जरुरत नहीं बताने की के उड़ना कैसे है..!!


(अर्पणा)

बुधवार, 30 अगस्त 2017

जो दरवाजा खटखटाने से पहले खुल जाए

जो दरवाजा खटखटाने से पहले खुल जाए 
उस दरवाजे की दहलीज को कभी पार नहीं करना चाहिए.

मंगलवार, 8 अगस्त 2017

हर चीज़ उठाई जा सकती है.

हर चीज़ उठाई जा सकती है.....सिवाय एक गिरी हुई बेईमान सोच के.

यू तेरा मेरा

यू तेरा मेरा 
एक दिन अचानक से मिल जाना
और फिर शुरू हो जाना
दौर बातों का
वो महीनो के सफ़र को 
घंटो में निबटाती बातें
वो दुनिया से नाराज़
पर अकेलेपन का जश्न मनाती बातें
वो उचाईयो को नापते नापते
गहराइयो में डुबाती बातें
वो दिल को दुखाने वाली हँसी से
सुकून के मीठे आंसू तक ले जाती बातें
वो ग़ालिब की हवेली से घूमते घुमते
सड़कछाप शायरी तक घुमाती बातें
कभी icu के वेंटिलेटर वाले मरीज़ सी सीरियस,
कभी शोखियां समेटे नटखट सी बातें
वो कभी सारे ज़माने की
तो कभी सिर्फ तेरी मेरी बातें
वो ज़िन्दगी की रात से काले कुर्ते पर
गेरुए रंग वाले सूरज के दुपट्टे सी बातें !

ईश्वर के न्याय की चक्की धीमी जरूर चलती है

ईश्वर के न्याय की चक्की धीमी जरूर चलती है..
लेकिन पीसती बहुत बारीक है!
धर्म को बचाना ईश्वर का काम है,
तुम मानवता को बचा लो वही बहुत है।

बेहिसाब हसरतें न पालिए

बेहिसाब हसरतें न पालिए..
जो मिला है उसे सम्भालिए..!!


मैंने अपनी ज़िन्दगी में सारे महंगे सबक

मैंने अपनी ज़िन्दगी में सारे महंगे सबक सस्ते लोगों से ही सीखे हैं।

मकानों के भाव यूँ ही नहीं बढ़े

मकानों के भाव यूँ ही नहीं बढ़े,
रिश्तों में पड़ी दरारों का फायदा बिल्डर उठा रहे हैं।

काश.....ऐसी भी हवा चले

काश.....ऐसी भी हवा चले, 
कौन किसका है....पता तो चले.!!





जिसके सहारे जिंदगी गुज़र जाए

जिसके सहारे जिंदगी गुज़र जाए,
आजकल उस वहम की तलाश में हूँ।


अगर ज़िन्दगी को समझना है तो

अगर ज़िन्दगी को समझना है तो पीछे देखो और ज़िन्दगी जीनी है तो आगे देखो.!


"कपड़ो" से तो "परदा" होता है साहब

"कपड़ो" से तो "परदा" होता है साहब,
"हिफाज़त" तो "निगाहों" से होती है...!!

बहुत मुश्किल है खुद पे हुकूमत करना

बहुत मुश्किल है खुद पे हुकूमत करना,
पाँव चादर में सिकुड़ने से मना करता है।।

ख़्वाहिशें कम हों तो आ जाती है पत्थरों पर भी नींद

ख़्वाहिशें कम हों तो आ जाती है पत्थरों पर भी नींद 
वरना चुभता है मखमल का बिस्तर भी...!



गर इश्क़ हो तो वो बेहद हो

गर इश्क़ हो तो वो बेहद हो ...
क्यूँकि हद और सरहद जमीं की होती है दिल की नहीं.!