मंगलवार, 8 अगस्त 2017
ख़्वाहिशें कम हों तो आ जाती है पत्थरों पर भी नींद
ख़्वाहिशें कम हों तो आ जाती है पत्थरों पर भी नींद
वरना चुभता है मखमल का बिस्तर भी...!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें