वो एक बंद दरवाजा था जो अब खुल गया
ज़ाहिर करें क्या उस पल को जो पल गया,
उसे भी याद नहीं और मैं भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीं था मगर फिजूल गया,
बारिश तो खूब बरसी हमारे शहर में भी, मगर
अबके बरस बिन बरसात ही सब धुल गया...!!!
ज़ाहिर करें क्या उस पल को जो पल गया,
उसे भी याद नहीं और मैं भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीं था मगर फिजूल गया,
बारिश तो खूब बरसी हमारे शहर में भी, मगर
अबके बरस बिन बरसात ही सब धुल गया...!!!
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