शनिवार, 22 जून 2013

वो एक बंद दरवाजा

वो एक बंद दरवाजा था जो अब खुल गया
ज़ाहिर करें क्या उस पल को जो पल गया,

उसे भी याद नहीं और मैं भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीं था मगर फिजूल गया,

बारिश तो खूब बरसी हमारे शहर में भी, मगर
अबके बरस बिन बरसात ही सब धुल गया...!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें