रविवार, 17 अगस्त 2014
इन बारिशों से आदाब-ए-मोहब्बत सीखो
इन बारिशों से आदाब-ए-मोहब्बत सीखो,
गर ये रूठ भी जाएँ तो बरसती बहुत ह ..!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें