मोहब्बत तो मोहब्बत है...!
कभी दिल से नहीं जाती,
लाखों रंग है इसके ,
अजब ही ढंग हैं इसके ,
कभी सेहरा, कभी दरिया,
कभी जुगनू, कभी आंसू,
हज़ारों रूप रखती है,
बदन झुलसा के जो रख दे
कभी वो धुप रखती है,
कभी बन कर ये एक जुगनू,
शब् -ऐ - ग़म के अंधेरों में,
दिलों को आस देती है,
कभी मंज़िल किनारे पर सदियों एक मुसाफ़िर को
फ़क़त एक प्यास देती है,
मोहब्बत तो मोहब्बत है
कभी दिल से नहीं जाती .........!!!!
कभी दिल से नहीं जाती,
लाखों रंग है इसके ,
अजब ही ढंग हैं इसके ,
कभी सेहरा, कभी दरिया,
कभी जुगनू, कभी आंसू,
हज़ारों रूप रखती है,
बदन झुलसा के जो रख दे
कभी वो धुप रखती है,
कभी बन कर ये एक जुगनू,
शब् -ऐ - ग़म के अंधेरों में,
दिलों को आस देती है,
कभी मंज़िल किनारे पर सदियों एक मुसाफ़िर को
फ़क़त एक प्यास देती है,
मोहब्बत तो मोहब्बत है
कभी दिल से नहीं जाती .........!!!!
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