मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

घर से निकलती हूँ मैं भी कुछ सपने लेकर

घर से निकलती हूँ
मैं भी कुछ सपने लेकर
नहीं थी खबर ..किसी गली में...
किसी सड़क पर तेजाब से जला दी जाउंगी,
घर से मंजिल तक खौफ़ 
अपने ही शहर में इस कदर बसा है
क्या मैं सही सलामत अपने घर
लौट कर वापस आउंगी,
हक़ हमें भी है खुल के जीने का,
ना जाने क्या सोचकर तुम
इसमें आग लगाते हो,
तुम कायर ..तुम न मर्द हो
ये तो मैं भूल से नहीं भुला पाउंगी,
मुझ में इतनी शक्ति है
मैं तो फिर भी संभल जाऊँगी,
तुम्हारी आँखों पर स्वार्थ कि
काली पट्टी चढ़ी है ... तुम भटकते रहो
मैं अपनी राह खुद बनाऊँगी,
अब बंद करो अश्लीलता
और हवस का व्यापार
वरना तुम्हारे विनाश के लिए
दुर्गा का रूप धर के आउंगी
ये कैसा है मेरा देश मेरे देश कि शान
नेता कहते हैं ‘India is shining’, ‘Incredible India’,
मेरा देश महान मैं कैसे कह पाऊँगी...!!
stop acid attack
(अर्पणा)


शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

सजावट इन फूलों से उस आलम कि क्या खूब होगी

सजावट इन फूलों से उस आलम कि क्या खूब होगी
अकसर इन हाथों में फूल देखकर आक़िल भी सवाल करती है,  


सड़क पर रूकती गाड़ियों से लिपटी भला ऐसी आस किसे होगी
इतनी तो उम्र भी नहीं... जितना बचपन इनसे हिसाब करती है...!!!




शनिवार, 26 सितंबर 2015

भटकती है दुनिया दिन रात सोने की दुकानों में

भटकती है दुनिया दिन रात सोने की दुकानों में, 

गरीबी कान छिदवाती है तो तिनका डाल लेती है !




गुरुवार, 24 सितंबर 2015

रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नहीं होती

रोटी किसी माँ की कभी ठंडी नहीं होती, 
मैंने फुटपाथों पर भी..जलते चूल्हे देखे हैं ..!!


मंगलवार, 22 सितंबर 2015

मशवरे भी बहुत हो जाये तो काम के नहीं रहते

मशवरे भी बहुत हो जाये तो काम के नहीं रहते, 

जिसने ज्यादा पूछा... वो गुमराह भी हुआ है..!!