मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

घर से निकलती हूँ मैं भी कुछ सपने लेकर

घर से निकलती हूँ
मैं भी कुछ सपने लेकर
नहीं थी खबर ..किसी गली में...
किसी सड़क पर तेजाब से जला दी जाउंगी,
घर से मंजिल तक खौफ़ 
अपने ही शहर में इस कदर बसा है
क्या मैं सही सलामत अपने घर
लौट कर वापस आउंगी,
हक़ हमें भी है खुल के जीने का,
ना जाने क्या सोचकर तुम
इसमें आग लगाते हो,
तुम कायर ..तुम न मर्द हो
ये तो मैं भूल से नहीं भुला पाउंगी,
मुझ में इतनी शक्ति है
मैं तो फिर भी संभल जाऊँगी,
तुम्हारी आँखों पर स्वार्थ कि
काली पट्टी चढ़ी है ... तुम भटकते रहो
मैं अपनी राह खुद बनाऊँगी,
अब बंद करो अश्लीलता
और हवस का व्यापार
वरना तुम्हारे विनाश के लिए
दुर्गा का रूप धर के आउंगी
ये कैसा है मेरा देश मेरे देश कि शान
नेता कहते हैं ‘India is shining’, ‘Incredible India’,
मेरा देश महान मैं कैसे कह पाऊँगी...!!
stop acid attack
(अर्पणा)


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