मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015
हिन्दू या मुस्लिम के अहसास को मत छेड़िए
हिन्दू या मुस्लिम के अहसास को मत छेड़िए
अपनी कुर्सी के लिए जज्बात को मत छेड़िए,
हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज खां
मिट गये सब, कौम की औकात को मत छेड़िए,
छेड़िए एक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ
दोस्त मेरे , मजहबी नगमात को मत छेड़िए ..!!
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