गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014
तुझमे झांकती हूँ में सबसे नज़रें बचा कर
तुझमे झांकती हूँ में सबसे नज़रें बचा कर
बेचैन हो रही हूँ क्यों तेरी पनाहों में आ कर,
क्या ढूँढती हूँ जाने क्या चीज खो गई है
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हो गई......!!
1 टिप्पणी:
mylife2020
4 फ़रवरी 2019 को 2:59 am बजे
आप की कहानी कुछ मुझ जैसी ही लगती है ।
आपकी हर शायरी में दर्द दिखता है
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आप की कहानी कुछ मुझ जैसी ही लगती है ।
जवाब देंहटाएंआपकी हर शायरी में दर्द दिखता है