बुधवार, 30 अक्टूबर 2013
रोने वालों के तो हमदर्द बहुत हैं
रोने वालों के तो हमदर्द बहुत हैं,
हँसते- हँसते कभी दुनिया को रुला कर दिखाएँ..!!
1 टिप्पणी:
yash
4 दिसंबर 2015 को 4:07 am बजे
रोते हैं तभी तो हमदर्द हैं,
हमदर्द ही नहीं चाहते कि हम हंसें।
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
रोते हैं तभी तो हमदर्द हैं,
जवाब देंहटाएंहमदर्द ही नहीं चाहते कि हम हंसें।