बुधवार, 30 अक्टूबर 2013

रोने वालों के तो हमदर्द बहुत हैं



रोने वालों के तो हमदर्द बहुत हैं,
हँसते- हँसते कभी दुनिया को रुला कर दिखाएँ..!!

1 टिप्पणी:

  1. रोते हैं तभी तो हमदर्द हैं,
    हमदर्द ही नहीं चाहते कि हम हंसें।

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