रविवार, 23 मार्च 2014

के जैसे डूबने वाले डूबने से ज़रा पहले

के जैसे डूबने वाले डूबने से ज़रा पहले
इक उम्मीद पर किनारा देखते हैं,

मोहब्बत की ये रसम भी कितनी अजीब है
जाने वाले पलटकर दुबारा देखते हैं,

तेरी खुदाई से गिला होने लगा है
जब दुनिया में कोई बे सहारा देखते हैं,

क्या मोहब्बत हमें भी रास आयेगी
आओ अपना अपना सितारा देखते हैं..!!!




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