शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

जिस्म की पूजा



जिस्म की पूजा को मोहब्बत कहता है आज का फलसफा
यही दौर-ए-हाज़िर की मोहब्बत है, तो मैं जाहिल ही सही..!!!

गुनगुनाते हुए आँचल की हवा दे मुझको



गुनगुनाते हुए आँचल की हवा दे मुझको
अपने घर के किसी कोने से लगा दे मुझको,

डूबते-डूबते आवाज़ तेरी सुन जाऊं
आखरी बार तू साहिल से सदा दे मुझको,

मैं तेरे हिज्र में चुप चाप न मर जाऊं कहीं
मैं हूँ सकते में कभी आ के रुला दे मुझको,

लोग कहते है के ये इश्क निगल जाता है
मैं भी इस इश्क में आया हूँ, दुआ दे मुझको, 




रविवार, 29 सितंबर 2013

वो शख्स किरदार है मेरी कहानी का



वो शख्स किरदार है मेरी कहानी का, मगर 
कहता है कहानी में, मेरा नाम न आये....!! 
 

शनिवार, 28 सितंबर 2013

मोहब्बत भी एक नेकी है

ये मोहब्बत भी तो एक नेकी है
आओ दरिया में डाल देते हैं ...


ज़िन्दगी

एक ही शख्स पे लुटा देते हैं जो ज़िन्दगी अपनी 
ऐसे लोग अब किताबों में मिला करते हैं ..