ख़्वाहिशें कम हों तो आ जाती है पत्थरों पर भी नींद वरना चुभता है मखमल का बिस्तर भी...!
गर इश्क़ हो तो वो बेहद हो ...क्यूँकि हद और सरहद जमीं की होती है दिल की नहीं.!
हाथ का मजहब नहीं देखते परिंदे,जो भी दाना दे ख़ुशी से खा लेते हैं..!
एक मुनाफा तो हुआ इस बेबसी का, कोई मजहब में नहीं बाँटता सब "गरीब" कहते हैं.!!
कहीं गरीब के बिस्तर को ताट तक नहीं, कहीं लिहाफ़ में कुत्ते सुलाये जाते हैं..!!