रविवार, 20 सितंबर 2015
बच्चे गरीब के फरमाइश इसलिए भी नहीं करते
बच्चे गरीब के फरमाइश इसलिए भी नहीं करते.... वे जानते हैं कि सूखा तालाब पत्थर फेंकने से हलचल नहीं करता.
कहाँ है इस बचपन की वो नादान सी हंसी
कहाँ है इस बचपन की वो नादान सी हंसी.. ? जो यह कहती है ....
बिन हथियारों के जंग में उतार दिया गया हूँ.,
आसान लफ्ज़ो में कहूँ तो मार दिया गया हूँ..!!
शुक्रवार, 4 सितंबर 2015
गोकुल की भोर बरसाने की दोपेहरी
गोकुल की भोर बरसाने की दोपेहरी
बृन्दावन की शाम देख लेती थी,
कौन सा काजल मीरा नैनों में लगाती थी कि
नैन मूंद के भी घनश्याम देख लेती थी.!!
मंगलवार, 1 सितंबर 2015
जमाना बदलता रहा मै ना बदल सका फिर भी
जमाना बदलता रहा मै ना बदल सका फिर भी.,
नादान, नादान ही रहा उल्टा भी लिखा और सीधा भी
शुक्रवार, 21 अगस्त 2015
हर तस्वीर के दो रुख हैं...जान और गम-ए-जाना
हर तस्वीर के दो रुख हैं...जान और गम-ए-जाना,
एक नक्श छुपाना हैं एक नक्श दिखाना हैं..!!
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