गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015

जज़्बात फिर वो नहीं रहते, जो आग़ाज़ में होते हैं

जज़्बात फिर वो नहीं रहते, जो आग़ाज़ में होते हैं,
कद्र खो देते हैं लोग चीज मिल जाने के बाद ..!!!


गुरुवार, 29 जनवरी 2015

अकेलेपन से मेरे दिल का शहर सुना था

अकेलेपन से मेरे दिल का शहर सुना था
न जाने कौन सी मंजिल थी जिसको छूना था,

नैना हस्ते रहे ..रैना ढ़लती रही
साये बढ़ते रहे ..सांस चलती रही,

सूखे सावन की बूंदों ने नहला दिया
फिर भी प्यासे का प्यासा है मोरा जिया,

इस उजाले में भी धुंधली तस्वीर है
इन सितारों की रात अपनी तकदीर है,

कैसी कुर्बत थी वो जिसने तनहा किया
साथ मेरे अकेला है मोरा पीया ..,

कैसे चैना मिले कैसे लागे जिया
रेज़ा-रेज़ा बिखरता है मोरा जिया.,

जलता बुझता हुआ ये जो संजोग है
अब यही है ख़ुशी अब यही रोग है.!!



मंगलवार, 27 जनवरी 2015

रविवार, 18 जनवरी 2015

गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

एक चिट्ठी सबके नाम

मेरे प्यारे दोस्तों हम सब इस दुनिया का हिस्सा हैं लेकिन हमें यहाँ भेजा किसने है ये आज तक कोई नहीं जान पाया और जान कर शायद कुछ हासिल भी नहीं होगा इसलिए ऐसे सवालों पर अपना समय बर्बाद मत करना...हम सबके पास एक सिमित समय होता है और जितना भी हो कम ही होता है.....दुनिया में इतना कुछ है देखने को, जानने को, महसूस करने को तुम्हारे पास थोड़ा भी वक़्त नहीं है बर्बाद करने को.....संभावनायें असीम हैं....हर दिन कुछ नया करना कुछ नया सीखना कुछ नया सोचना और अगर कभी किसी काम को लेकर मन में दुविधा हो तो याद रखना......न करके पछताने से कहीं बेहतर है करके पछताना.....क्योकि अगर कोई काम करके कुछ और न भी मिला तो तजुर्बा मिलेगा और वो बहुत ही किमती होता है......हर चीज का तजुर्बा करना लेकिन किसी भी चीज की आदत मत डालना तजुर्बे तुम्हें सही और गलत में फर्क करना सिखायेंगे गलतियां करने से बचायेंगे पर गलतियां करने से डरना मत गलतियां वही करते हैं जो कुछ करते हैं, अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेना उन्हें सुधारना.. कोई जानबूझ कर गलती नहीं करता कोई जान बुझकर बुरा बरताव भी नहीं करता किसकी ज़िन्दगी में क्या चल रहा है ये कोई नहीं जनता...सबकी इज़त करना, सबपर भरोसा करना और सबसे प्यार करना इस दुनिया में प्यार की बहुत कमी है सबको इसकी बहुत जरुरत है ज़ाहिर है आपको भी होगी......ज़िन्दगी बहुत छोटी है...जी खोलकर नाचना, गला फाड़ कर गाना, मन भर कर खाना खुल कर हँसना और जोर से रोना......बस शारीर से ही बड़े होना मन से नहीं....जिस दिन अन्दर से ये बचपना गया मासूमियत गई उस दिन समझो ज़िन्दगी गई.......भविष्य के बारे में सोचना लेकिन चिंता मत करना.....बीते दिनों को याद करना मगर उनमें खो मत जाना......ज़िन्दगी में कुछ अच्छे दिन आयेंगे तो कुछ बुरे भी ..अच्छे दिनों में घमंड न करना और बुरे दिनों में हताश न होना ...सफलता का सारा श्रय खुद को मत देना और असफलता का सारा जिम्मा दूसरों पर मत थोपना....बस आगे बढ़ना और खुशियाँ बांटते जाना.