शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

बहके तो बहुत बहके , संभले तो संभल ही गये

बहके तो बहुत बहके , संभले तो संभल ही गये,
इस ख़ाक के पुतले का हर रंग निराला हैं ..!!


गुरुवार, 7 अगस्त 2014

जो बात "हम" में थी

जो बात "हम" में थी

वो बात ना "तुम" में हैं

ना "मुझ" में हैं !!



मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है



मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है,

यहाँ पर नफरतों ने कैसे गुल खिलाये हैं
लुटी अस्मत बता देगी दुपट्टा बोल सकता है,

हुकूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलवा बोल सकता है,

कई चेहरे अभी तक मुंहजबानी याद है इसको
कहीं तुम पूछ मत लेना गूंगा बोल सकता है,

बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पे रखी हैं
ये वो सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है,

सियासत की कसौटी पर परखिये मत वफ़ादारी
किसी दिन इंतकामन मेरा गुस्सा बोल सकता है..!!



अब क्या कहें, संभल के चलने में वो मज़ा नहीं आता,


अब क्या कहें, संभल के चलने में वो मज़ा नहीं आता,

लड़खड़ाओ, तब तो आसमान पे नज़र जाती है..!!


जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,



जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,

बबूल से भी बुरे निकले तेरे गुलमोहर के साये..!!