गुरुवार, 7 अगस्त 2014

मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है



मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है,

यहाँ पर नफरतों ने कैसे गुल खिलाये हैं
लुटी अस्मत बता देगी दुपट्टा बोल सकता है,

हुकूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलवा बोल सकता है,

कई चेहरे अभी तक मुंहजबानी याद है इसको
कहीं तुम पूछ मत लेना गूंगा बोल सकता है,

बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पे रखी हैं
ये वो सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है,

सियासत की कसौटी पर परखिये मत वफ़ादारी
किसी दिन इंतकामन मेरा गुस्सा बोल सकता है..!!



अब क्या कहें, संभल के चलने में वो मज़ा नहीं आता,


अब क्या कहें, संभल के चलने में वो मज़ा नहीं आता,

लड़खड़ाओ, तब तो आसमान पे नज़र जाती है..!!


जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,



जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,

बबूल से भी बुरे निकले तेरे गुलमोहर के साये..!!


मंगलवार, 1 जुलाई 2014

इतना, आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ



इतनी आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाती हूँ ,
शायद तुमने ही.. पन्ने छोड़ - छोड़ कर पढ़ा है मुझे …!!



लोग मेरे पीठ पीछे लाख बुराई करते होंगे



लोग मेरे पीठ पीछे लाख बुराई करते होंगे, लेकिन मेरी पीठ नें कभी शिकायत नहीं की,क्यूंकि वोह मेरा ध्येय जानती है!