रविवार, 15 सितंबर 2013

कुछ भी नहीं

सोचा नहीं अच्छा बुरा , देखा सुना कुछ भी नहीं
माँगा खुदा से हर वक़्त, तेरे सिवा कुछ भी नहीं

देखा तुझे चाह तुझे, सोचा तुझे पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी खता, तेरी खता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने, मोती बिछाये रात भर
भेजा वही कागज़ उसे, हम ने लिखा कुछ भी नहीं

और एक शाम की देहलीज़ पर, बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत, मुंह से कहा कुछ भी नहीं

दो - चार दिन की बात है, दिल ख़ाक में मिल जयेगा
आग पर जब कागज़ रखा, बाकी बचा कुछ भी नहीं ......!!!!

दिल जीत लें वो नज़र

दिल जीत लें वो नज़र हम भी रखते हैं,
भीड़ में भी आयें नज़र वो असर हम भी रखते हैं,
यूँ तो वादा किया है किसी से हरदम मुस्कुराने का
वरना इन आँखों में समंदर हम भी रखते हैं ......!!!!

उसने हँस कर कहा

उसने हँस कर कहा हमसे....तुम हँसों लाख मगर,
न छुप सकेंगी हक़ीकत के चेहरा किताब जैसा है.!!


रविवार, 8 सितंबर 2013

मोहब्बत

मोहब्बत ज़िन्दगी के फासलों से लड़ नहीं सकती,
किसी को खोना पड़ता है और किसी का होना पड़ता है ..!!


कभी आँखे भी पढ़ो

सिर्फ हाथों को न दिखाओ कभी आँखें भी पढ़ो
कुछ सवाली बैरी खुद्दार हुआ करते हैं .......!!!