सोमवार, 30 जून 2014
रिश्तों के सारे मंज़र चुप चाप देखती हूँ
रिश्तों के सारे मंज़र चुप चाप देखती हूँ,
हाथों में सबके खंजर चुप चाप देखती हूँ
…!
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