गुरुवार, 7 अगस्त 2014

जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,



जहाँ उम्मीद थी ज्यादा वहीँ से खाली हाथ आये,

बबूल से भी बुरे निकले तेरे गुलमोहर के साये..!!


मंगलवार, 1 जुलाई 2014

इतना, आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ



इतनी आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाती हूँ ,
शायद तुमने ही.. पन्ने छोड़ - छोड़ कर पढ़ा है मुझे …!!



लोग मेरे पीठ पीछे लाख बुराई करते होंगे



लोग मेरे पीठ पीछे लाख बुराई करते होंगे, लेकिन मेरी पीठ नें कभी शिकायत नहीं की,क्यूंकि वोह मेरा ध्येय जानती है!

पानी फेर दो इन पन्नों पर, ताकि धुल जाए सियाही सारी



पानी फेर दो इन पन्नों पर, ताकि धुल जाए सियाही सारी,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी !!



जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं



जैसी भी हूं अच्छी या बुरी अपने लिये हूं,
मै खुद को नही देखती औरो की नजर से….!!!!