हर बार ये इल्ज़ाम रह गया,
हर काम में कोई काम रह गया..!!
नमाज़ी उठ उठ कर चले गये मस्ज़िदों से,
दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया..!!
दिलेरी का हरगिज़ हरगिज़ ये काम नहीं है,
दहशत किसी मज़हब का पैगाम नहीं है ....!
तुम्हारी इबादत, तुम्हारा खुदा, तुम जानो,
हमें पक्का यकीन है ये कतई इस्लाम नहीं है....!!!