बुधवार, 15 जुलाई 2015

विकास का चेहरा या मुखौटा

सच कहू तो विकास का चेहरा या मुखौटा को पूरा पढ़ते -पढ़ते उस गुब्बारे की हवा निकल जाती है जिसे पिछले कुछ समय से भाजपा नेता, कार्यकर्त्ता और मीडिया का एक हिस्सा फुलाने में लगा हुआ है...... केंद्र की सरकार काम कर रही है.... अच्छी बात है ..सरकारें काम करने के लिए ही आती हैं.इसमें ऐसी कोई बात नहीं है जिसके लिए मोदी या उनके नेतृत्व की हर वक्त तारीफ़ की जाए... लेकिन मीडिया, खासकर टीवी मीडिया का एक बड़ा तबका ऐसा ही कर रहा हैं ..हर वक्त तारीफ़ ..हर बात पर तारीफ़ ..मोदी सरकार के रणनीतिकारों और भाजपा के नेताओं को यह समझना होगा कि जब तारीफें काम से ज्यादा होने लगती हैं तो जनता में गुस्सा पनपने लगता है ...इसी तरह के गुस्से की वजह से अटल बिहारी वाजपयी दोबारा सत्ता में नहीं लौट पाए थे.

हम तो छोटे है अदब से सर झुका लेगे "जनाब

हम तो छोटे है अदब से सर झुका लेगे "जनाब"

बडे ये तय कर ले कि उन मे बडप्पन कितना है ?!!



तलाश सिर्फ सुकून की होती हैं

तलाश सिर्फ सुकून की होती हैं,
बेनाम सा कोई भी रिश्ता हो...!!




सोमवार, 13 जुलाई 2015

बचपन से बुढ़ापे तक..गरीबी से अमीरी तक

बचपन से बुढ़ापे तक..गरीबी से अमीरी तक,
ऐसे वक़्त के सिलसिले मिले,
अनाथाश्रम में बच्चे गरीबों के दिखे,
वृद्धाश्रम में बुज़ुर्ग अमीरों के मिले ..!!


गुरुवार, 9 जुलाई 2015

हम तो छोटे है अदब से सर झुका लेगे "जनाब"

हम तो छोटे है अदब से सर झुका लेगे "जनाब"
बडे ये तय कर ले कि उन मे बडप्पन कितना है ?