सोमवार, 23 सितंबर 2013
मोहब्बत
राज़ खोल देते हैं नाज़ुक से इशारे अक्सर
,
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबां होती है
….
आवारगी
ये सब रास्ते के साथी थे, इन्हें आखिर बिछड़ना था
चलो अब घर चलते हैं, बहुत आवारगी कर ली..!!
गम बिछड़ने का नहीं करते खानाबदोश
गम बिछड़ने
का नहीं करते खानाबदोश
,
हम तो वीराने बसाने का हुनर जानते हैं...!!!
रविवार, 22 सितंबर 2013
जीवन की नेमत
सब जतन कर नींद न आये जब तमाम रात...
तो मान लेना है कही कोई क़र्ज़ जैसी बात...
प्यार का इकरार का तकरार का क्यों है मलाल...
यह तो है जीवन की नेमत यही रहेंगी साथ...!!
जो चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी
,
जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में
,
तुम भी निकल सको तो चलो
..!!!
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