रविवार, 8 सितंबर 2013

चंद रुपयों में बिकता है

चंद रुपयों में बिकता है इंसान का ज़मीर,
कौन कहता है मेरे देश में महंगाई बहुत है ...
तैरने वाले तैर जाते है बड़े-बड़े सागर में,
तैरना न आये तो कहते है तालाब की ही गहराई बहुत है....!!!!

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी हर कदम इक नई जंग है
जीत जायेंगे हम तू अगर संग हैं,


तूने ही सजाएं हैं मेरे होठो पर ये गीत
मैं हूँ इक तस्वीर तू मेरा रूप रंग है ....<3 <3

एक नज़र

ले देके अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है,
क्यों देखें ज़िन्दगी को किसी और की नज़र से...!!


मोहब्बत के कलाकार

जरा संभल कर रहना यारों
इस जमाने में मोहब्बत के कलाकार बहुत है,

जहाँ सजते हैं खिलौनों के दिल
यहाँ वे बाज़ार बहुत है...


 Arpana Singh Parashar

मै सब जगह हूँ

मैं सब जगह हूँ, मगर मैं कहीं नहीं हूँ,
मैं सबके साथ हूँ, मगर मैं किसी के पास नहीं हूँ..!!! 


Arpana Singh Parashar