रविवार, 13 अप्रैल 2014
दुनिया को समझाया हमने लेकिन खुद अनजान रहे
दुनिया को समझाया हमने लेकिन खुद अनजान रहे
अपने तन पर अपना कुरता अक्सर ढीला हो जाता है,
आईने को घर में रख दो, साथ में ले कर मत घूमो
सच की धूप में रहते-रहते चेहरा नीला हो जाता है,
बच्चों के सच्चे ज़हनों में झूठी बातें मत डालो
काँटों की सोहबत में रह कर फूल भी नुकीला हो जाता है,
दिन भर तो हम मिलकर शक्कर में पानी घोलें
रात आते-आते सारा शरबत क्यों ज़हरीला हो जाता है.....!!
अपने तन पर अपना कुरता अक्सर ढीला हो जाता है,
आईने को घर में रख दो, साथ में ले कर मत घूमो
सच की धूप में रहते-रहते चेहरा नीला हो जाता है,
बच्चों के सच्चे ज़हनों में झूठी बातें मत डालो
काँटों की सोहबत में रह कर फूल भी नुकीला हो जाता है,
दिन भर तो हम मिलकर शक्कर में पानी घोलें
रात आते-आते सारा शरबत क्यों ज़हरीला हो जाता है.....!!
शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014
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